यह खबर अभी किसी अखबार या टीवी का हिस्सा तो नहीं बनी लेकिन राजस्थान एटीएस की अब तक की जांच को सही दिशा में मानें तो एक बात तय हो गयी है.और यह बात है अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और हैदराबाद की मक्का मस्जिद में ब्लास्ट के पीछे उन्हीं सिरफिरों का हाथ है..जिन्होंने मालेगांव में बम धमाकों की योजना बनायी थी.यानीं आरएसएस प्रष्ठभूमि के पांच ऐसे युवकों ने ब्लास्ट की यह योजना बना ली.जो आरएसएस की विचारधारा से जुडे तो थे..हिंदू दर्शन को समझने और राष्ट्रीय सोच को आगे बढाने के लिये.लेकिन अमरनाथ याञियों और अक्षरधाम समेत अलग अलग जगह हूजी लश्कर ए तैयबा और इंडियन मुजाहिदीन द्वारा देश में जगह जगह की गई आतंकी वारदातों और ऐसे मामलों मे आरएसएस की चुप्पी के चलते खुद ही जवाबी कार्रवाई की सोच बैठे.अब तक मिले तथ्यों से यह बात साफ हो गयी है कि अजमेर मक्का मस्जिद और मालेगांव ब्लास्ट के पीछे पांच सिरफिरों का हाथ था.और आरएसएस को इसकी भनक तक नहीं मिली.
देश में जगह जगह हुई आतंकी हरकतों का जवाब देने निकले ये पांच सिरफिरे हैं..
1.अब तक पुलिस की पकड से बाहर सुनील डांगे
2.दिसंबर 2007 में इंदौर में मारा गया आरएसएस का जिला प्रचारक सुनील जोशी
3.पुलिस की पकड से दूर रामजी कलसांगरा
4.राजस्थान एटीएस द्वारा गिरफ्तार और अब सलाखों के पीछे न्यायिक हिरासत में बैठा देवेंद्र गुप्ता
और...
5.एक जून तक एटीएस की ओर से रिमांड पर लिया गया लोकेश शर्मा
एटीएस की अब तक की पूछताछ का लब्बो लुआब यही कि इन पांच जनों ने मिलकर ही ब्लास्ट की योजना बनायी और पेशे से इंजीनियर संदीप डांगे अजमेर...मक्का मस्जिद और मालेगांव धमाकों का असली मास्टर माइंड है.संदीप और रामजी कलसांगरा को बम बनाने की जिम्मेदारी दी गई तो सुनील जोशी का जिम्मा था बम निर्माण के लिये सामग्री जुटाना.लोकेश शर्मा ने मक्का मस्जिद ब्लास्ट के लिये कई बार हैदराबाद जाकर बाकायदा रैकी की थी और देवेंद्र जैन ने अजमेर दरगाह में ब्लास्ट का आईडिया दिया था.यह तैयारी भी 2003 से शुरू हुई और ज्यों ज्यों मुस्लिम आतंकी संगठनों ने जगह जगह वारदातें की...त्यौं त्यौं इन पांचों की योजना जूनून में बदल गयी.पकडे नहीं जायें..इसके लिये तमाम उपाय अपनाये गये.मसलन जून 2006 मे नकली वोटर आईडी और ड्राइविंग लाइसेंस के सहारे जामतारा झारखण्ड से सिम और मोबाइल खरीदे गये और संदीप डांगे योजना को अंजाम देने के लिये चुपचाप धन का इंतजाम करता रहा.तमाम सबूत पांचों के खिलाफ हैं.लेकिन अब तक पकडे गये आरोपियों के वकीलों की दलील इसे झुठलाने में जुटी है.सबसे बडी दलील यही कि जिस तरह अब तक आंध्र प्रदेश एटीएस मक्का मस्जिद मामले में हूजी का हाथ बताकर अपने गाल बजा रही थी..ठीक उसी तरह राजस्थान एटीएस की यह थ्यौरी भी झूठी नहीं पड जाये.हालांकि राजस्थान एटीएस का दावा है कि अजमेर ब्लास्ट हों चाहे मक्का मस्जिद या मालेगांव ब्लास्ट...इतने प्रमाण मिल गये हैं कि अब यह थ्यौरी गलत साबित होने वाली नहीं.
Friday, May 21, 2010
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