....हाशिये से.

कुछ मोती... कुछ शीप..!!!



Sunday, August 16, 2015

... बड़े हो गए !








... बड़े हो गए !



बुत बनकर ,
हम खड़े हो गए ...
दुनिया कहती ,
तुम बड़े हो गए...
भक्ति अंधी,
ऐसी है अब ..
सच भी
मुर्दे गड़े हो गए ...

फेंकें चाहें ,
लंबी चौड़ी ....
सच्चाई के ,
धड़े हो गए ..
बुत बनकर ,
हम खड़े हो गए ...
दुनिया कहती ,
तुम बड़े हो गए ..

वोट फंसे,
दाढ़ी -चोटी में...
सोच- सियासत,
सड़े हो गए ...
हुकूमत उनकी,
हुकुम भी उनका...
कौमी करतब
कड़े हो गए ..
बुत बनकर
हम खड़े हो गए
दुनिया कहती,
तुम बड़े हो गए !

-श्रीपाल शक्तावत 




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