....हाशिये से.

कुछ मोती... कुछ शीप..!!!



Monday, October 26, 2015



बेटी !


तीन दृश्य :




1.
बेटी !
जिण घर 
जळमें  नहीं 
फूट्या उणरा 
भाग .
बेटा
दे गोडा
जणा
रौवे 
माँ अर  बाप !



.
2.
बिन बेटी 
घर नईं ,
मिनखी चारो 
भी 
बेकार .
बेटा 
भख लेवे
 जणा 
माचे
हाहाकार !









3.
बूढी काया ...
जद हाँफसी,
हिम्मत
बेटी साथ.
देसी 
वा
ढाढ़स घणों,
रक्ख...
माथा 
माथै हाथ !
बेटी ...
भळ
परायी घणी,
पण 
मुश्कल मं
वा साथ !
-श्रीपाल शक्तावत



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